अभी तक आपने कई तरह के मोबाइल फ़ोन या फिर कहलो स्मार्टफोन इस्तेमाल किये होंगे बहोत सारी कंपनियां जो मोबाइल फ़ोन बनाती है जैसे की सैमसंग (Samsung), ओप्पो (OPPO) , विवो (Vivo) , शाओमी (Xiaomi) , एप्पल (Apple) इत्यादि अब फ़ोन तो आपने यूज़ किया होगा और यूज़ करते होंगे लेकिन क्या आप जानते है एक मोबाइल फ़ोन कैसे बनता है (How Smartphone Are Made in Hindi) क्या क्या प्रोसेस अपनाया जाता है एक फ़ोन बनाने के लिए क्या क्या टेस्ट होते है क्या आप जानते है ?
आपकी जानकारी के लिए बता दू की फ़ोन तो खरीद लेते है और कितनी आसानी से इस्तेमाल भी करलेता है लेकिन एक फ़ोन को बनाना कितना मुस्किल होता ये सायद जानकार हैरान हो जायेंगे एक मोबाइल फ़ोन बन्ने से पहले उसका डिजाईन कांसेप्ट और प्रोटोटाइप के बारे में अच्छे से स्टडी किया जाता है फिर ये सारी चीज़े फाइनल होने के बाद एक्चुअल में मोबाइल फ़ोन मेनूफेक्चर प्रोसेस (Smartphone Manufacturing Process) के लिए जाता है आइये जानते है इन प्रोसेस को.
मोबाइल फ़ोन (Smartphone) कैसे बनते है ?
1. स्मार्टफोन (Smartphone) के लिए PCB प्लेट की प्रिंटिंग करना
जैसा की आप सभी लोग जानते है फ़ोन में जो सारा काम होता है वो मदरबोर्ड (Motherboard) का जिस तरह से कंप्यूटर में मदरबोर्ड है सेम मोबाइल में भी मदरबोर्ड होता है जिसमे सरे कंपोनेंट्स लगे होते है जिसका नाम है पीसीबी (PCB) पीसीबी का फुल फॉर्म है प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (Printed Circuit Board) इसी में मोबाइल क सरे कंपोनेंट्स कनेक्ट होते पीसीबी ही मोबाइल क सरे कंपोनेंट्स को जोड़े रखता है
तो फ़ोन बनता है तो सबसे पहला काम होता है पीसीबी प्लेट में प्रिंटिंग करना मशीन (Machine) की मदद से की कोनसा कॉम्पोनेन्ट कहा लगेगा किस किस चीज़ में क्या लगाया जायेगा ये सारी चीज़े पीसीबी प्लेट में प्रिंट किया जाता है तो फ़ोन बनाने वाली कंपनी के पास बड़े बड़े मशीन होते हो की प्लेट में सर्किट बोर्ड डिजाईन करने में मदद करता है
2. अब कॉम्पोनेन्ट जोड़े जाते है और पीसीबी प्लेट की चेकिंग की जाती है
एक बार पीसीबी प्लेट में प्रिंटिंग हो जाने के बाद नेक्स्ट स्टेप में यहाँ पर जितने भी जरुर कंपोनेंट्स होते है जो पीसीबी में लगाने होते है जैसे की ट्रांजिस्टर उन सभी लोग मशीन के जरिये ऐड किया जाता है अब इसी पीसीबी प्लेट को चेकिंग की जाती है एक्स रे (X-Ray) मशीन दुवारा और ये पता लगाया जाता है जो प्रिंटिंग है वो अच्छे से हुई है या फिर नहीं या फिर तो इसके सिंपल सा प्रोसेस अपनाया जाता है जहा पर वर्कर्स पीसीबी प्लेट की पिक क्लिक करते है एक्स रे (X-Ray) मशीन दुवारा और ये इसे ज़ूम करके एक एक पार्ट देखा जाता है की कही जो पार्ट है वो एक दुसरे से चिपके यानि की ओवरलैप (Overlap) तो नहीं कर रही है
3. पीसीबी प्लेट के फंक्शन को चेक किया जाता है
नेक्स्ट स्टेप में यहाँ पर अब ये चेक किया जाता है की जो पीसीबी प्लेट है वो काम कर रहा है या नहीं यानि की इसकी फंक्शनलिटी (Functionality) किया जाता है ये वर्क कर रहा है तो इसे एक कंप्यूटर सॉफ्टवेर (Computer Software) से कनेक्ट करके चेक किया जाता है
एक बार फंक्शन चेक हो जाने के बाद नेक्स्ट स्टेप में यहाँ पर पीसीबी प्लेट में इंजेक्शन दिया जाता है जो की एक तरह का ग्लू (Glue) होता है कोम्पोंनेंट्स में लगाने के लिए ताकि कंपोनेंट्स एक दुसरे से चिपके न.
4. अब डिस्प्ले को पीसीबी प्लेट से कनेक्ट करके चेक किया जाता है
अब पीसीबी प्लेट को डिस्प्ले से कनेक्ट किया जाता और बारी बरी चेक किया जाता है फंक्शन को जैसे की ब्लूटूथ (Bluetooth) , जीपीएस(GPS) , टच (Touch) , सिम कार्ड (Sim Card) की ये अच्छे से काम कर रहे है या नहीं और भी कई सरे फंक्शन चेक किये जाते है
एक बार फंक्शन चेक हो जाने के बाद अब डिस्प्ले पार्ट पर काम किया जाता है तो यहाँ पर पहले से बने हुए डिस्प्ले कम्पनीज(Companies) के पास होती तो उन्हें बाहर से इम्पोर्ट किया जाता है तो यहाँ पर इन डिस्प्ले में जितनी भी जरुर चीज़े जैसे की स्मार्टफोन सेंसर (Smartphone Sensor) , सेल्फी कैमरा (Selfie Camera) इत्यादि
5. अब बैटरी की और चार्जर की टेस्टिंग की जाती है ?
डिस्प्ले में जरुर चीज़े कनेक्ट करने के बाद अब बारी आती है मोबाइल बैटरी की यानि के स्मार्टफोन (Smartphone) के बैटरी तो इसे कनेक्ट किया जाता है और देखा जाता है की फ़ोन ओन ऑफ हो रहा है या नहीं या फिर फ़ोन में चार्जिंग काम कर रही है या नहीं ये चीज़े टेस्ट की जाती.
और टेस्ट होने के बाद इसे आगे स्मार्टफोन अस्सेम्ब्ल (smartphone assemble) के लिए भेज दिया जाता है अस्सेम्ब्ल होने के बाद अब यहाँ पर एक एक फ़ोन (Phone) को चेक किया जाता है काम कर रहा या नहीं टच अच्छे से काम कर रहे है या फिर नहीं सेल्फी कैमरा टेस्ट किया जाता है की जो कैमरा है वो एक्यूरेट कलर्स दे रहा या नहीं फोटोज में इत्यादि.
6. अब फ़ोन में कंप्यूटर सॉफ्टवेर के जरिए IMEIनंबर डाला जाता है
जी फ़ोन अस्सेम्ब्ल और अच्छी तरह से टेस्टिंग हो जाने के बाद अब यहाँ पर फ़ोन में यानि मोबाइल में आईएम्इआई नंबर (IMEI Number) डाला जाता है ये नंबर हर मोबाइल फ़ोन का अलग अलग होता है एक बार मोबाइल में आईएम्इआई नंबर दाल देने के बाद अब इसे पैकिंग (packaging) के लिए भेजा जाता है
इसके बाद नेक्स्ट स्टेप में एक सेट बनाके फ़ोन को को गोदाम भेजा जाता है या फिर जहा भी इसकी जरुरत होती है वह पर भेजा जाता है जैसे की मोबाइल शॉप (मोबाइल Shop) वेयरहाउस इत्यादि तो इस तरह से एक पूरा स्मार्टफोन बनाया जाता है
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